
आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में करियर ग्रोथ और अधिक सैलरी के लिए हर साल या एक ही वित्तीय वर्ष (Financial Year) में नौकरी बदलना आम चलन हो गया है। लेकिन जब बात इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आती है, तो ऐसी स्थिति में कुछ अतिरिक्त सावधानी बरतनी जरूरी होती है। नौकरी बदलने के बाद आपके टैक्स डॉक्युमेंट्स, इनकम डिटेल्स और डिडक्शन से जुड़ी कई बातें बदल जाती हैं, जिनका गलत या अधूरा विवरण आपके लिए नोटिस का कारण बन सकता है। इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि नौकरी बदलने के बाद ITR फाइल करते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
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हर नियोक्ता से फॉर्म 16 लेना न भूलें
अगर आपने एक ही वित्तीय वर्ष में दो या उससे अधिक कंपनियों में काम किया है, तो हर नियोक्ता से फॉर्म 16 (Form 16) लेना जरूरी है। यह डॉक्युमेंट आपकी सैलरी, टैक्स कटौती और अन्य वित्तीय जानकारियों को प्रमाणित करता है। ITR भरते समय फॉर्म 16 की मदद से आप अपनी कुल इनकम और टैक्स डिडक्शन का सही-सही आंकलन कर सकते हैं।
पुरानी नौकरी की इनकम को न करें नजरअंदाज
कई बार लोग नई नौकरी से मिली इनकम तो रिपोर्ट कर देते हैं, लेकिन पुरानी कंपनी से मिली सैलरी को भूल जाते हैं। ऐसा करने से आपके ITR में इनकम का मिसमैच हो सकता है और टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में यह गड़बड़ी नोटिस के रूप में सामने आ सकती है। इसलिए नौकरी बदलने पर पुरानी और नई दोनों नौकरियों से मिली इनकम को जोड़कर कुल इनकम रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
एक ही डिडक्शन को दो बार क्लेम करने की गलती न करें
नौकरी बदलने के दौरान EPF, PPF, LIC प्रीमियम या हेल्थ इंश्योरेंस जैसे टैक्स डिडक्शन को दो बार क्लेम करने की गलती आम है। ध्यान रखें कि एक ही निवेश या खर्च के लिए दो बार टैक्स छूट का दावा करना गैरकानूनी है। इससे आपकी टैक्स फाइलिंग गलत मानी जा सकती है और जुर्माना लग सकता है।
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फॉर्म 26AS की जांच जरूर करें
फॉर्म 26AS में आपकी सैलरी से कटे गए TDS (Tax Deducted at Source) की पूरी जानकारी होती है। यह फॉर्म आपके पैन से लिंक होता है और इसमें सभी टैक्स क्रेडिट दिखते हैं जो पहले से जमा हो चुके हैं। ITR भरने से पहले इसे जरूर जांचें ताकि कोई टैक्स क्रेडिट मिस न हो जाए।
ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट के टैक्स नियमों को समझें
अगर आपने एक ही कंपनी में पांच साल से अधिक समय तक काम किया है और नौकरी छोड़ी है, तो आपको ग्रेच्युटी (Gratuity) मिलने की संभावना है। 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है। इसके अलावा नौकरी छोड़ने के समय मिली लीव एनकैशमेंट राशि पर भी टैक्सेशन नियम लागू होते हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
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नई नौकरी की सैलरी स्लिप को संभालकर रखें
नई कंपनी की सैलरी स्लिप, जॉइनिंग लेटर और अन्य टैक्स संबंधी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें। ये दस्तावेज आपके इनकम और डिडक्शन के प्रमाण के तौर पर काम आते हैं और टैक्स फाइलिंग के समय इनकी जरूरत पड़ सकती है।
सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव को ध्यान से समझें
नौकरी बदलने पर नए सैलरी स्ट्रक्चर में HRA, LTA, बोनस या इंसेन्टिव्स अलग-अलग हो सकते हैं। इनका सही तरीके से ब्योरा देना जरूरी है क्योंकि हर घटक का अलग टैक्स ट्रीटमेंट होता है।
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सही फॉर्म चुनें ITR फाइल करते समय
यदि आपकी इनकम केवल सैलरी से है तो ITR-1 फॉर्म उपयुक्त है, लेकिन यदि आपके पास दो से अधिक नियोक्ताओं से आय है या अन्य स्रोतों से आय है तो आपको ITR-2 या ITR-3 चुनना पड़ सकता है। सही फॉर्म का चयन ITR को वैध बनाता है।