
भारत सरकार का सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। मंत्रालय एक नया ‘नेगेटिव पॉइंट सिस्टम’ लागू करने की योजना बना रहा है, जिसका मकसद है ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर नियंत्रण और सड़क सुरक्षा को सख्ती से लागू करना। यह कदम मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicle Act) में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस नई व्यवस्था में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर डीएल पर नेगेटिव पॉइंट्स जुड़ेंगे और तय सीमा से अधिक पॉइंट्स होने पर ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड या रद्द किया जा सकेगा।
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सड़क सुरक्षा (Road Safety) को मजबूत करने के लिए सरकार की यह पहल सराहनीय है। नेगेटिव पॉइंट्स सिस्टम से ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सकेगा और सड़क दुर्घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी। लाइसेंस रद्द होने या सस्पेंड होने का डर ड्राइवरों को ज्यादा जिम्मेदार बनाएगा और इससे समग्र रूप से ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार देखने को मिल सकता है।
क्या है नेगेटिव पॉइंट सिस्टम?
सरकार द्वारा प्रस्तावित सिस्टम में, यदि कोई व्यक्ति रेड सिग्नल जंप करता है, तेज गति से वाहन चलाता है या अन्य किसी तरह के ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके ड्राइविंग लाइसेंस पर ‘डेमेरिट पॉइंट्स’ जुड़ जाएंगे। जब ये पॉइंट्स एक निश्चित सीमा पार कर जाएंगे, तो संबंधित व्यक्ति का DL एक निश्चित समय के लिए सस्पेंड कर दिया जाएगा या स्थायी रूप से रद्द किया जा सकता है।
एक अधिकारी के अनुसार, इस सिस्टम में ‘मेरिट पॉइंट्स’ की व्यवस्था भी होगी। जो ड्राइवर ट्रैफिक नियमों का पालन करेगा, अच्छे नागरिक की तरह व्यवहार करेगा या दुर्घटना में किसी की मदद करेगा, उसे मेरिट पॉइंट्स दिए जाएंगे। यह सिस्टम अच्छे और बुरे व्यवहार का एक डिजिटल रिकॉर्ड बनाएगा, जो समय के साथ लाइसेंसधारकों के लिए एक ट्रैक रिकॉर्ड जैसा काम करेगा।
किन देशों में लागू है ऐसा सिस्टम?
भारत में यह व्यवस्था भले ही नई हो, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, यूके, जर्मनी, ब्राजील, फ्रांस और कनाडा जैसे देशों में नेगेटिव पॉइंट्स सिस्टम पहले से ही लागू है। इन देशों में यह देखा गया है कि लाइसेंस रद्द होने के डर से लोग अधिक सतर्क रहते हैं और ट्रैफिक नियमों का बेहतर तरीके से पालन करते हैं। भारत में भी इसी सोच के साथ यह सिस्टम लाया जा रहा है ताकि सड़क हादसों में कमी लाई जा सके।
बढ़ते हादसों पर लगाम लगाने की कोशिश
सरकार द्वारा 2019 में जुर्माने और पेनल्टी बढ़ाने के बावजूद, सड़क हादसों की संख्या में कोई खास गिरावट नहीं आई है। हर साल भारत में लगभग 1.7 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा देते हैं। ऐसे में सरकार अब लोगों में भय उत्पन्न करने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस पर अंक आधारित व्यवस्था लागू करने जा रही है।
इसके साथ ही ट्रैफिक उल्लंघन की रिकॉर्डिंग अब इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से की जाएगी, जिससे पुलिस को तुरंत कार्रवाई करने में आसानी होगी। CCTV कैमरों और AI आधारित ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए यह व्यवस्था और सटीक बनाई जाएगी।
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एस सुंदर कमेटी की सिफारिशें बनी आधार
2011 में बनी एस सुंदर कमेटी ने मोटर व्हीकल एक्ट की समीक्षा करते हुए ड्राइवरों के लिए पेनल्टी पॉइंट सिस्टम की सिफारिश की थी। कमेटी ने सुझाव दिया था कि अगर कोई ड्राइवर तीन साल में 12 से ज्यादा डेमेरिट पॉइंट्स जमा कर लेता है, तो उसका लाइसेंस एक साल के लिए सस्पेंड कर देना चाहिए। अगर यह व्यक्ति फिर से वही गलती करता है और 12 पॉइंट्स जमा हो जाते हैं, तो उसका लाइसेंस 5 साल के लिए रद्द किया जाना चाहिए।
DL रिन्यू करने से पहले देना होगा ड्राइविंग टेस्ट
सरकार ड्राइविंग लाइसेंस के रिन्यूअल के नियमों में भी सख्ती लाने जा रही है। अब अगर किसी व्यक्ति ने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया है, तो उसे लाइसेंस रिन्यू करवाने से पहले ड्राइविंग टेस्ट देना होगा। अभी तक यह प्रक्रिया काफी सरल थी और केवल दस्तावेजों के आधार पर लाइसेंस रिन्यू कर दिया जाता था, लेकिन अब सख्त जांच और ड्राइविंग टेस्ट के बिना रिन्यूअल संभव नहीं होगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी नए नियम
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी ड्राइविंग लाइसेंस सिस्टम में बदलाव कर रही है। खासतौर पर 1,500 वाट से कम क्षमता वाले और अधिकतम 25 kmph की स्पीड वाले वाहनों के लिए लर्नर लाइसेंस अनिवार्य किया जाएगा। मंत्रालय इस संबंध में अलग-अलग नियम बना रहा है ताकि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की तेजी से बढ़ती संख्या को नियंत्रित किया जा सके।