
हाल के दिनों में भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच फिर से तनाव की लहर दौड़ गई है, जिसमें खासकर पाकिस्तान के नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों ने चिंता और गहरा दी है। पाकिस्तान की तरफ से भारत को परमाणु बम-न्यूक्लियर बम से हमले की धमकी ने वैश्विक स्तर पर न्यूक्लियर हथियारों की सुरक्षा, लागत और विनाश क्षमता को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
परमाणु बम हमले से होने वाला नुकसान
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम — लिटिल ब्वॉय और फैटमैन — ने पूरी दुनिया को इस हथियार की तबाही का वास्तविक चेहरा दिखाया। इन हमलों से जापान को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और लाखों जानें गईं। आज दुनिया के प्रमुख देश न्यूक्लियर आर्सेनल के रखरखाव पर कुल 91.4 अरब डॉलर सालाना खर्च कर रहे हैं। इसे अगर सेकंड के हिसाब से देखें, तो यह खर्च करीब 2898 डॉलर या लगभग ढाई लाख रुपये प्रति सेकंड बैठता है, जो सौ से ज्यादा देशों की GDP से भी अधिक है।
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की स्थिति
पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू विमान जैसे एफ-16 को सरगोधा (Mushaf) और शाहबाज एयरबेस पर तैनात कर रखा है। माना जाता है कि इन स्थानों से 10 किलोमीटर दूर Sargodha Weapons Storage Complex में पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियार रखे गए हैं। उसके पास अब्दाली, गौरी, हत्फ, शाहीन जैसी कई मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज भारत के कई बड़े शहरों तक है। पाकिस्तान में परमाणु हमले का आदेश नेशनल कमांड अथॉरिटी देती है, जिसकी अगुवाई प्रधानमंत्री करते हैं।
कैसे लिया जाता है परमाणु हमला करने का आदेश
किसी भी देश में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति सीधे परमाणु बम का बटन नहीं दबाते। उनके पास केवल स्मार्ट कोड होता है, जिससे परमाणु बम लॉन्च की प्रक्रिया शुरू होती है। वास्तविक आदेश परमाणु कमान की सबसे निचली इकाई को जाता है जो मिसाइल लांच करती है। भारत में यह फैसला प्रधानमंत्री सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति, एनएसए और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की सलाह पर लेते हैं। अमेरिका के प्रेसिडेंट के पास न्यूक्लियर फुटबॉल और रूस के राष्ट्रपति के पास एक विशेष ब्रीफकेस होता है जिसमें सभी परमाणु योजनाओं की जानकारी होती है।
भारत के परमाणु हथियार और मिसाइलें
भारत के पास अग्नि, शौर्य, प्रलय और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें हैं, जो जमीन, समुद्र और हवा से न्यूक्लियर अटैक कर सकती हैं। इस तीनों माध्यमों से हमला करने की क्षमता को न्यूक्लियर ट्रायड कहा जाता है। भारत की “नो फर्स्ट यूज़” नीति यह स्पष्ट करती है कि वह कभी पहले हमला नहीं करेगा, लेकिन हमला होने पर उसी स्तर पर जवाब देगा।
परमाणु दुर्घटनाएं जो बच गईं
इतिहास में कई बार परमाणु दुर्घटनाएं होते-होते बचीं। 1957 में न्यू मैक्सिको में एक विमान से परमाणु बम गिरा, लेकिन विस्फोट नहीं हुआ। 1961 में कैलिफोर्निया में बी-52 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें दो न्यूक्लियर बम थे। 1965 में एक अमेरिकी विमान से समुद्र में गिरा परमाणु बम आज तक नहीं मिल पाया है।
परमाणु निरस्त्रीकरण की कोशिशें
शीत युद्ध के दौरान परमाणु हथियारों की संख्या 60,000 के पार पहुंच गई थी। इसके बाद परमाणु निरस्त्रीकरण की मुहिम शुरू हुई। दुनिया में केवल दक्षिण अफ्रीका ऐसा देश है जिसने स्वेच्छा से अपने सभी परमाणु हथियार खत्म कर दिए और खुद को नाभिकीय हथियारों से मुक्त घोषित कर दिया।
जापान पर परमाणु हमले का प्रभाव
अमेरिका द्वारा 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमले में सवा लाख से ढाई लाख लोग मारे गए। इन हमलों का असर जापान ने आधी सदी से अधिक समय तक झेला। रेडिएशन और जेनेटिक बीमारियों ने पीढ़ियों को प्रभावित किया।
दुनिया में किसके पास कितने न्यूक्लियर हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2024 रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में नौ देशों के पास कुल 12,512 परमाणु हथियार हैं। रूस के पास सबसे ज्यादा 2815, अमेरिका के पास 1928, चीन के पास 410, फ्रांस के पास 290, ब्रिटेन के पास 225, पाकिस्तान के पास 170 और भारत के पास 172 एटमी हथियार हैं। उत्तर कोरिया के पास सबसे कम मात्र 30 बम हैं।
पाकिस्तान के एटमी हथियारों की कीमत
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की कुल अनुमानित कीमत 4455 करोड़ डॉलर आंकी गई है। अगर पाकिस्तान अपने सभी न्यूक्लियर हथियार बेच दे, तो उसका करीब 2740 करोड़ डॉलर का विदेशी कर्ज उतर सकता है।
परमाणु हथियार की लागत कितनी होती है
आज के समय में एक न्यूक्लियर बम बनाने में करीब 1.8 करोड़ डॉलर से लेकर 5.3 करोड़ डॉलर तक का खर्च आता है। इसका मतलब है कि एक बम की कुल लागत 1530 करोड़ से 4516 करोड़ रुपये तक हो सकती है। अमेरिका का B61-12s बम जिसकी रिपोर्ट फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट ने दी थी, उसमें बम की लागत 2.8 करोड़ डॉलर थी, लेकिन पूरे सिस्टम की कीमत 27 करोड़ डॉलर तक पहुंचती है। यानी एक न्यूक्लियर बम की कुल कीमत भारतीय रुपये में लगभग 2300 करोड़ होती है।