
चीन की Tujia जनजाति में शादी से जुड़ी एक ऐसी परंपरा निभाई जाती है, जिसे जानकर कोई भी चौंक सकता है। इस समुदाय में शादी से पहले दुल्हन को एक महीने तक हर दिन रोना पड़ता है। यह प्रथा ना केवल अद्भुत है बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भी बेहद रोचक है। Tujia Tribe Wedding से जुड़ी यह परंपरा चीन के हूनान (Hunan), हुबेई (Hubei) और गुइझोउ (Guizhou) प्रांतों में फैली हुई है, जहां Tujia समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं।
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Tujia Tribe Wedding की यह रोने की रस्म एक उदाहरण है कि कैसे किसी समुदाय की परंपरा, चाहे वह कितनी भी अनोखी क्यों न हो, गहरे सांस्कृतिक मूल्यों और भावनात्मक संबंधों से जुड़ी होती है। यह रस्म केवल एक रीति नहीं, बल्कि एक संपूर्ण सांस्कृतिक अनुभव है, जो पीढ़ियों से चला आ रहा है और आज भी लोगों के दिलों में खास स्थान रखता है।
रोने की रस्म: अनोखी परंपरा का प्रतीक
इस रस्म को “Zuo Tang” कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘बैठकर रोना’। इस रस्म के तहत दुल्हन को शादी से ठीक एक महीने पहले हर दिन एक घंटे रोना होता है। यह केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सामाजिक और पारिवारिक प्रतीक है, जो खुशी, दुख और विदाई की भावनाओं को दर्शाता है। दुल्हन अकेले नहीं रोती, बल्कि कुछ दिनों बाद उसकी मां, दादी और अन्य महिलाएं भी इसमें शामिल हो जाती हैं। एक समय बाद यह आयोजन रोने का समूहीय कार्यक्रम बन जाता है, जो नाटकीय और भावनात्मक दोनों होता है।
इतिहास से जुड़ी है ये परंपरा
Tujia Tribe की यह शादी की परंपरा हजारों साल पुरानी है और माना जाता है कि यह प्रथा मिंग राजवंश (1368-1644) के समय शुरू हुई थी। कहा जाता है कि एक शाही Tujia राजकुमारी ने अपने विवाह से पहले जोर-जोर से रोकर अपनी विदाई की पीड़ा जताई थी। यह दृश्य इतना प्रभावशाली था कि धीरे-धीरे पूरे समुदाय ने इसे एक रस्म के रूप में अपना लिया।
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रोने के पीछे छिपा है सम्मान और आभार
यह रस्म केवल दुख और विदाई के भाव नहीं दिखाती, बल्कि यह दुल्हन द्वारा अपने माता-पिता के प्रति आभार प्रकट करने का भी तरीका है। रोने के माध्यम से वह अपने माता-पिता की देखभाल, प्यार और परवरिश के लिए धन्यवाद देती है। यह एक सांस्कृतिक संवाद का रूप बन गया है, जिसमें भावनाएं, परंपराएं और कृतज्ञता एक साथ पिरोई जाती हैं।
गाने के रूप में होता है रोना
इस रस्म का सबसे खास पहलू यह है कि रोना भी एक प्रकार के गीत के रूप में किया जाता है। इन “रोने के गीतों” में पारंपरिक लोकगान, विदाई के भाव और पारिवारिक रिश्तों का चित्रण होता है। दुल्हन और अन्य महिलाएं रोते हुए गीत गाती हैं, जिससे यह रस्म एक प्रकार के सांस्कृतिक प्रदर्शन का रूप ले लेती है।
आधुनिकता के बावजूद जीवित है परंपरा
वर्तमान समय में जब दुनिया तेजी से आधुनिक हो रही है, ऐसे में भी Tujia Tribe Wedding की यह परंपरा आज भी जीवित है। हालांकि कुछ शहरी क्षेत्रों में यह प्रथा थोड़ी कम हो गई है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसे आज भी पूरे सम्मान और भव्यता के साथ निभाया जाता है। यह दर्शाता है कि कैसे सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक मूल्य आधुनिकता के दौर में भी टिके रह सकते हैं।
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विवाह की अन्य परंपराएं भी हैं अनोखी
Tujia समुदाय की विवाह रस्में सिर्फ रोने तक सीमित नहीं हैं। शादी के दिन दूल्हा दुल्हन को लेने जब पहुंचता है, तो उसे कई तरह की चुनौतियों और पारंपरिक खेलों का सामना करना पड़ता है। यह विवाह को एक उत्सव और सामुदायिक सहभागिता का प्रतीक बना देता है।
सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र बनती यह परंपरा
हर साल हजारों पर्यटक इस अनोखी परंपरा को देखने Tujia समुदाय के क्षेत्रों का रुख करते हैं। यह परंपरा न केवल सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करती है, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देती है। चीन की सरकार ने भी इस रस्म को राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर (National Cultural Heritage) के रूप में मान्यता दी है।