
पंजाब सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्री (Property Registry) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए तय समय से चार महीने पहले ही NOC (No Objection Certificate) के बिना रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पहले यह सुविधा 30 अगस्त 2025 तक लागू रहने वाली थी। अब सभी जिलों के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जब तक वैध NOC प्रस्तुत नहीं की जाती, तब तक किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं की जाए। सरकार के इस अचानक फैसले ने आम लोगों के साथ-साथ प्रॉपर्टी कारोबार से जुड़े लोगों को भी असमंजस में डाल दिया है।
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अचानक बदलाव से जनता और रियल एस्टेट सेक्टर में गुस्सा
इस फैसले से पहले कई लोग उम्मीद कर रहे थे कि सरकार NOC प्रक्रिया में कुछ ढील देगी, क्योंकि लोग पहले से ही इसकी जटिलताओं से जूझ रहे थे। लेकिन राहत की उम्मीद में पानी फिर गया जब सरकार ने बिना NOC के रजिस्ट्री की सुविधा को समय से पहले ही बंद कर दिया। इससे रियल एस्टेट (Real Estate) क्षेत्र में सक्रिय लोगों के साथ-साथ आम नागरिकों में भी नाराजगी देखी जा रही है।
प्रॉपर्टी डीलरों और कॉलोनाइज़रों ने फैसले का किया विरोध
ज़िला प्रॉपर्टी एसोसिएशन के प्रधान बलजीत शर्मा और कॉलोनाइज़र संघ के प्रमुख दर्शन शर्मा ने इस फैसले को पूरी तरह अनुचित बताया है। उनका कहना है कि पहले भी जब NOC की अनिवार्यता लागू की गई थी, तब रजिस्ट्री कार्य पूरी तरह से ठप हो गया था। अब एक बार फिर वही स्थिति बनने की आशंका है जिससे रियल एस्टेट व्यवसाय को गहरा झटका लग सकता है। उनका यह भी कहना है कि सरकार को इस विषय में व्यापक चर्चा और पूर्व सूचना के साथ ही निर्णय लेना चाहिए था।
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प्रशासन ने पुराने रिकॉर्ड भी मांगे, हाईकोर्ट में पेश होंगे दस्तावेज
प्रशासनिक स्तर पर भी इस फैसले को गंभीरता से लागू किया जा रहा है। जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अब तक की गई सभी रजिस्ट्रियों का रिकॉर्ड एकत्र कर जल्द ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) में प्रस्तुत किया जाए। इसके पीछे सरकार का मकसद रियल एस्टेट से जुड़ी अनियमितताओं और अवैध कॉलोनियों पर नकेल कसना बताया जा रहा है।
आम जनता असमंजस में, सरकार से स्पष्टता की मांग
सरकार के इस अचानक लिए गए फैसले से आम नागरिकों (Common Citizens) में भ्रम की स्थिति है। जिन लोगों ने हाल ही में प्रॉपर्टी खरीदी है या खरीदने की योजना बना रहे थे, वे समझ नहीं पा रहे कि आगे क्या प्रक्रिया होगी। लोग यह जानना चाहते हैं कि जब पहले से 30 अगस्त 2025 की समयसीमा तय थी, तो अब इसे अचानक क्यों बदला गया। सभी की मांग है कि सरकार स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करे ताकि आम लोग और कारोबारी दोनों इस प्रक्रिया को सही तरीके से समझ सकें।
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रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी का खतरा
इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ सकता है। जिन क्षेत्रों में पहले से ही बिक्री और खरीद में गिरावट देखी जा रही थी, वहां अब निवेशक और ग्राहक और भी अधिक सतर्क हो गए हैं। प्रॉपर्टी डीलरों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई स्पष्ट दिशा नहीं आई, तो इससे बाजार में भारी मंदी देखने को मिल सकती है। कई कॉलोनाइज़र पहले ही प्रोजेक्ट्स पर ब्रेक लगाने की बात कह चुके हैं।
सरकार का उद्देश्य और लोगों की उम्मीदें
सरकार का दावा है कि इस कदम का उद्देश्य अवैध कॉलोनियों पर नियंत्रण और व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करना है। लेकिन लोगों का कहना है कि NOC प्रक्रिया को पहले पारदर्शी और सरल बनाया जाना चाहिए था। यदि यह प्रक्रिया जटिल बनी रही तो इससे लोगों में और भी असंतोष फैलेगा। सभी की मांग है कि सरकार ऑनलाइन सिस्टम, सिंगल विंडो क्लीयरेंस जैसी सुविधाएं शुरू करे ताकि NOC प्राप्त करने में समय और पैसा दोनों की बचत हो।