पेगासस केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! कोर्ट ने दिया सरकार का साथ

सुप्रीम कोर्ट ने Pegasus जासूसी मामले में दी चौंकाने वाली टिप्पणी—अगर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल हुआ तो कोई आपत्ति नहीं, लेकिन अगर आपकी निजता भंग हुई है तो मामला गंभीर है। विशेषज्ञ रिपोर्ट पर भी कोर्ट ने लगाई रोक। क्या आप भी हैं निगरानी सूची में? जानिए पूरा मामला

By Pankaj Singh
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पेगासस केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! कोर्ट ने दिया सरकार का साथ
पेगासस केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! कोर्ट ने दिया सरकार का साथ

पेगासस जासूसी मामला एक बार फिर सुर्खियों में है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार राष्ट्र की सुरक्षा के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल करती है तो वह गलत नहीं है। हालांकि, यदि इसका प्रयोग किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ किया गया और उसकी निजता (Privacy) का उल्लंघन हुआ है, तो उस पर विचार किया जाएगा।

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स्पाइवेयर का प्रयोग आतंकवाद के खिलाफ जायज़: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह शामिल हैं, ने कहा कि स्पाइवेयर का होना अपने आप में कोई ग़लत बात नहीं है। यदि इसका उपयोग आतंकियों के खिलाफ किया जा रहा है, तो वह राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा माना जाएगा। लेकिन अगर इसे नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, या पत्रकारों की जासूसी के लिए प्रयोग किया गया है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है।

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि Pegasus Spyware मामले में बनाई गई तकनीकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। कोर्ट का कहना था कि यह रिपोर्ट “सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज़” नहीं बन सकती। राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी ऐसी जानकारी को सार्वजनिक करना देशहित में नहीं है। कोर्ट का यह रुख उस समय सामने आया जब कई याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने रिपोर्ट को साझा करने की मांग की।

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याचिकाकर्ताओं की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया

याचिकाकर्ता के वकील दिनेश द्विवेदी और कपिल सिब्बल ने रिपोर्ट का कम से कम संपादित रूप ही सही, लेकिन पक्षकारों को देने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि नागरिकों के खिलाफ अगर पेगासस का उपयोग हुआ है, तो यह गंभीर मसला है और रिपोर्ट तक पहुंच जरूरी है। इस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि वह देखेगा कि रिपोर्ट का कौन-सा हिस्सा साझा किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट: देश की सुरक्षा सर्वोपरि

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि “आतंकवादी निजता का अधिकार नहीं मांग सकते।” कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि वर्तमान समय में देश को बहुत सी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।

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कोर्ट ने अमेरिका के फैसले का उल्लेख सुनने की अनुमति दी

कपिल सिब्बल ने अमेरिका की एक अदालत के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर ऐसे मामलों में पारदर्शिता अपनाई गई है। उन्होंने वॉट्सऐप द्वारा किए गए हैकिंग के दावे का भी ज़िक्र किया। कोर्ट ने सिब्बल को दस्तावेज़ दाखिल करने की अनुमति दी और अगली सुनवाई की तारीख 30 जुलाई तय की गई।

2021 में बना था टेक्निकल पैनल

गौरतलब है कि 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति गठित की थी। याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने 22 अप्रैल को इस मुद्दे को उठाया था और कोर्ट से अनुरोध किया था कि सीलबंद लिफाफे में दी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।

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क्या है पेगासस जासूसी मामला?

यह मामला वर्ष 2019 में तब सामने आया जब एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत सरकार ने इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के स्पाइवेयर पेगासस (Pegasus Spyware) का उपयोग कर राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित लगभग 300 लोगों की जासूसी की। अगस्त 2021 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

सुप्रीम कोर्ट ने तब इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक स्वतंत्र तकनीकी समिति गठित की थी और केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा था। केंद्र सरकार ने रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपा था, लेकिन अब तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।

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Pankaj Singh

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