पेंशनर्स को मिल सकता है 55% DA! लेकिन कब? देखें

जब केंद्र सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों को 55% महंगाई राहत दी, तो मध्यप्रदेश में सिर्फ कर्मचारियों को मिला फायदा—पेंशनर्स अब भी 50% पर अटके! आखिर क्यों? क्या छत्तीसगढ़ की सहमति बन गई बाधा या है कोई राजनीतिक चाल? इस रिपोर्ट में जानिए वो पूरा मामला जिसे 24 साल से दबाया जा रहा है

By Pankaj Singh
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पेंशनर्स को मिल सकता है 55% DA! लेकिन कब? देखें
पेंशनर्स को मिल सकता है 55% DA! लेकिन कब? देखें

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए महंगाई राहत (Dearness Allowance-Dearness Relief) में उल्लेखनीय वृद्धि की है। सरकार ने 1 जुलाई 2024 से 3 प्रतिशत और 1 जनवरी 2025 से 2 प्रतिशत की दर से DA बढ़ाने की घोषणा की है। इसके साथ ही अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों को कुल 55% महंगाई राहत मिलेगी। यह निर्णय बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे लाखों कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है।

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मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को 55%, पर पेंशनर्स को अब भी 50% महंगाई राहत

हालांकि केंद्र की इस घोषणा के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने भी अपने कर्मचारियों के लिए 55% DA लागू करने का फैसला लिया है, लेकिन पेंशनर्स को इससे वंचित रखा गया है। फिलहाल राज्य के पेंशनर्स को केवल 50% महंगाई राहत मिल रही है, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारी वर्ग में नाराज़गी का माहौल है।

राज्य सरकार का यह निर्णय पेंशनर्स के साथ भेदभावपूर्ण माना जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार अपने पेंशनर्स को समान लाभ दे रही है।

24 वर्षों से हो रहा पेंशनर्स के साथ अन्याय: मेहता

पेंशनर्स के हितों की लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता मेहता ने इस असमानता को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार पिछले 24 वर्षों से राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की छठवीं अनुसूची की धारा 49 की गलत व्याख्या कर रही है।

मेहता के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार तब तक पेंशन में वृद्धि लागू नहीं करती जब तक छत्तीसगढ़ सरकार सहमति नहीं देती। उन्होंने सवाल उठाया कि जब उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड और बिहार-झारखंड जैसे राज्यों में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है, तो मध्यप्रदेश को इस अनुबंध में क्यों बांधा जा रहा है?

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छत्तीसगढ़ की सहमति पर निर्भर है मध्यप्रदेश सरकार?

मेहता ने बताया कि छत्तीसगढ़ के लिए पेंशन देनदारी का अनुपात 24% और मध्यप्रदेश के लिए 76% निर्धारित है। इस अनुपात का समायोजन प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में होना चाहिए। इसके बावजूद, मध्यप्रदेश सरकार उसी तिथि से DA वृद्धि लागू करती है, जिस तिथि को छत्तीसगढ़ सरकार अपनी सहमति देती है।

इस नीति के कारण लाखों पेंशनर्स को उनके अधिकार का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है, जो संविधानिक और नैतिक रूप से गलत है।

क्या केंद्र की तरह राज्य भी अपनाएगा समान नीति?

केंद्र सरकार की स्पष्ट नीति है कि पेंशनर्स और वर्तमान कर्मचारियों दोनों को समान महंगाई राहत मिले। सवाल यह उठता है कि राज्य सरकारें, विशेषकर मध्यप्रदेश, इस नीति को क्यों नहीं अपनातीं?

मेहता ने इस संबंध में राज्य सरकार से अपील की है कि वह केंद्र की तर्ज पर अपने पेंशनर्स को भी 55% महंगाई राहत तुरंत प्रदान करे, जिससे वर्षों से हो रहे अन्याय की भरपाई हो सके।

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निष्कर्ष: पेंशनर्स की मांग जायज़, सरकार को तुरंत करनी चाहिए पहल

महंगाई के इस दौर में पेंशनर्स को उचित राहत देना अत्यंत आवश्यक है। केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार को भी अपने नीति निर्धारण में समानता और पारदर्शिता दिखानी चाहिए। मध्यप्रदेश के पेंशनर्स को लंबे समय से उनकी वैधानिक और आर्थिक मांगों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अब समय आ गया है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और बिना देरी के पेंशनर्स को भी 55% महंगाई राहत का लाभ दे।

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